'क्योंकी वक्त का जन्म ठहरने के लिये नहीं, गुज़र जाने के लिये होता है।' 'क्योंकी वक्त का जन्म ठहरने के लिये नहीं, गुज़र जाने के लिये होता है।'
चौके चूल्हे में, रौनक लगी रहती थी, माँ के होने से सब संभव था चौके चूल्हे में, रौनक लगी रहती थी, माँ के होने से सब संभव था
उम्मीद से मंज़िल की ओर जा रहा, पर मेरे ख़्वाबों के पंख मिलता नहीं। उम्मीद से मंज़िल की ओर जा रहा, पर मेरे ख़्वाबों के पंख मिलता नहीं।
मजदूर, हाँ, कहते तो यही हैं लोग उसे, पर मैंने उसे राही जाना, धूप का मुसाफ़िर जाना...! मजदूर, हाँ, कहते तो यही हैं लोग उसे, पर मैंने उसे राही जाना, धूप का मुसाफ़िर जान...
सिर पर रखकर हाथ, साथ पग पग पर देते। पापा पालनहार, दुखों को वो हर लेते। सिर पर रखकर हाथ, साथ पग पग पर देते। पापा पालनहार, दुखों को वो हर लेते।